आप अपनी रचनाएँ हमें मेल करें तो निम्नलिखित तथ्यों का ध्यान रखें :-
आपनी रचनाएँ हमें office@kapilkanan.org पर भेजें .
आपकी रचनाएँ मौलिक हों .
रचनाओं का उदेश्य, भाव एवं स्तर हमारे पत्रिका प्रकाशन के उदेश्य के अनुरूप हो .
अगर संपादकीय मंडली के द्वारा आपकी रचनाएँ हमारे पत्रिका के लिए उपयुक्त पाई जायेंगी तो उसे आपके नाम से ही प्रकाशित की जाएगी . एक बार भेज देने के बाद उसके प्रकाशन से समबन्धित प्रश्न न करें .
रचनाओं के साथ अपना परिचय (बायोडाटा जिसमे आपका पता एवं संपर्क नंबर हो ) एवं फोटो अवश्य भेजें .
हमारे पत्रिका में आपकी किसी रचना के प्रकाशित होने के बाद उसके समस्त अधिकार श्री कपिल कानन आश्रम मधेपुर के पास सुरक्षित हो जायेंगे .
हमारा यह उपक्रम पूर्णतः अव्यावसायिक है , जिसका उदेश्य जनसामान्य के लिए आध्यात्मिक , धार्मिक तथ्य और श्री गुरुदेव के दैवीय विरासत को बांटना है , अतः किसी भी प्रकार से धन या पारिश्रमिक की आशा व्यर्थ है .
रचनाएँ हिंदी यूनिकोड में लिखी हों और माइक्रोसॉफ्ट वर्ड के प्रारूप में हो . (क्योंकि वेब पर हिंदी यूनिकोड में प्रकशित होता है तो उसे किसी भी डिवाइस पर पढ़ना सुलभ हो जाता है और हम नवीन तकीनीकी मानकों का उपयोग करतें हैं )
अगर आप यूनिकोड में हिंदी लिखना नहीं जानते और लिगेसी फोंट्स जैसे कृति देव आदि का प्रयोग करते हैं तो आप आसानी से उसे लिख कर यूनिकोड में परिवर्तित कर सकते हैं (नीचे लिंक्स दिये गए हैं जहाँ से आप आसानी से कृति देव से यूनिकोड में परिवर्तन कर सकतें हैं .)
और अगर आप हिंदी यूनिकोड में लिखते हैं और उसके लिए गूगल का हिंदी इनपुट टूल प्रयोग करते थे और अब जबकि गूगल ने उसका ऑफलाइन इंस्टालेशन फाईल देना बंद करके सिर्फ ऑनलाइन सेवा देना चालू कर दिया है तो आप दो काम कर सकते हैं -
या तो आप नीचे दिए गए लिंक पर जा कर ऑनलाइन लिख सकते हैं
या आप गूगल का हिंदी इनपुट टूल का ऑफलाइन इंस्टालर नीचे दिए गए लिंक से डाउनलोड कर सकते हैं और ऑफलाइन आराम से फोनेटिकली यूनिकोड में हिंदी लिख सकते हैं.
या अगर आप कंप्यूटर पर कार्य नहीं करते तो आप किसी भी कंप्यूटर दक्ष कार्यकर्ता (साईबर कैफे आदि में) से अपनी रचनाएँ टंकित करा कर भी भेज सकते हैं .
लिंक्स