नगरी हो मधेपुर सी
आदमी
इस असार संसार से पार
आगे को आगे आ जाने दो
आज तो बस आज में रहो
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आदमी
इस असार संसार से पार
आगे को आगे आ जाने दो
आज तो बस आज में रहो
कहो काल ने क्या नहीं लीला है ?
आत्म-ज्योति जाग्रत राखू
आरति करू गुरुदेव गुणी की
तेरी हर बात प्यारी थी
श्री गुरुदेव के ज्ञान यज्ञ में आपकी आहुति
दूध की बाढ़ आई है..
नगरी हो मधेपुर सी
श्री गुरुदेव कवच
मंजिल आखिरी वही श्मशान ही होगा
मस्तक चन्द्र वस्त्र गेरुआ साजे
आपके चरणों की धूलि
आदमी
इस असार संसार से पार
आगे को आगे आ जाने दो
आज तो बस आज में रहो
नगरी हो मधेपुर सी
श्री गुरुदेव कवच
मस्तक चन्द्र वस्त्र गेरुआ साजे
आपके चरणों की धूलि
आदमी
इस असार संसार से पार
आगे को आगे आ जाने दो
आज तो बस आज में रहो
आदमी
इस असार संसार से पार
आगे को आगे आ जाने दो
आज तो बस आज में रहो
उद्धव, बिसरब कोना हम ब्रज के नेह
आत्म-ज्योति जाग्रत राखू
माधव के चरणाश्रय नहिं जाय
आरति करू गुरुदेव गुणी की
॥ श्री हरि सुमर श्री हरि सुमर ॥
भव हरि शरणं, भव हरि शरणं
Someone is unhappy.. Let them be..
Someone is unhappy.. Let them be..
Someone is unhappy.. Let them be..
Someone is unhappy.. Let them be..
Someone is unhappy.. Let them be..
Someone is unhappy.. Let them be..
दूध की बाढ़ आई है..
आदमी
आरति करू गुरुदेव गुणी की
मस्तक चन्द्र वस्त्र गेरुआ साजे
आश्रम निर्माण रूपी महायज्ञ में अपनी आहुति दें
आश्रम निर्माण रूपी महायज्ञ में अपनी आहुति दें
श्री गुरुदेव कवच
कहो काल ने क्या नहीं लीला है ?
श्री गुरुदेव के ज्ञान यज्ञ में आपकी आहुति
मंजिल आखिरी वही श्मशान ही होगा
प्रथम आलेख
मंजिल आखिरी वही श्मशान ही होगा
आश्रम निर्माण रूपी महायज्ञ में अपनी आहुति दें
मंजिल आखिरी वही श्मशान ही होगा
अर्वाचीन संत साहित्य में योगर्षि श्रीकपिल का अवदान
मंजिल आखिरी वही श्मशान ही होगा
श्याम मेरो आस है, श्याम विश्वास है
अर्वाचीन संत साहित्य में योगर्षि श्रीकपिल का अवदान
भव हरि शरणं, भव हरि शरणं
आरति करू गुरुदेव गुणी की