तुम जब ठानते हो
कुछ कर गुजरने की ।
तुम जब सोचते हो
ऊपर उठने की ॥
बस कर गुजरो तुम
बाँकियों को अभी सोचने दो ।
ये दुनियां है, यूँ ही रहेगी
गुलामों को चक्की पीसने दो ॥
पतझड़ को पीछे ही छोड़कर
वसंत का आगमन हो जाने दो ।
तूफान तो यूं ही आते - जाते
अब असंभव को संभव हो जाने दो ॥
तुम्हारे पग अब वामन से हैं
खुद को विराट बन जाने दो ।
संसार की पोटली उसी को थमा कर
खुद को वैरागी बन जाने दो ॥
जन्म - जन्म की तकलीफों पर
अब तो मरहम लग जाने दो ।
गुरु कृपा का अमृत पीकर
अब तो अमर हो जाने दो ॥
दुनियाँ को खुद पर हँसने दो
अपनों को शिकायत हो जाने दो ।
पीछे तो पीछे ही रह गया
आगे को आगे आ जाने दो ॥