आज तुम अपने आप से बात करो
आज तुम अपने साथ रहो दिनभर ।
आज तुम खुद के लिए ही सोचो
आज जगो अपने साथ रातभर ॥
आज कुछ अपने लिए ही करो
आज तुम अँधेरे में न रहो ।
आज ही अपना दीपक जलाओ
आज जीवन को प्रकाशित तो करो ॥
आज खुद का इलाज करो तुम
आज ही अपनी सफाई करो ।
आज अपने चित्त को निहारो तुम
आज दुर्गुणों से लड़ाई करो ॥
आज तो अपनी भी न सुनो
आज तुम्हारा जीवन दिव्य हो ।
आज का सूरज तुम्हारे लिए ही निकला है
आज तो बस रौशनी को ही चाहो ॥
आज सुख - दुःख को छोड़ो तुम
आज अपने आनन्द में मगन रहो ।
आज का चाँद सिर्फ तुम्हारे लिए है
आज सिर्फ अपने आँगन रहो ॥
आज बस खुद से झूठ मत बोलो
आज तो खुद से लड़ कर मरो ।
आज भूत - भविष्य की चिंता छोड़ो
आज तो बस आज में रहो ॥