चित्र साभार - इस्कॉन
हे ऊधो, ब्रज नहिं बिसरल जाय
मायातीत हम भनहिं कहाबी
ब्रज माया ने बिसराय
हे ऊधो, ब्रज नहिं बिसरल जाय ॥
मैया यशोदा के अपरूब ममता
भेटय कतय ओहन रूचि रमता
माखन मिसरी नहि मोन सं जाय
हे ऊधो, ब्रज नहिं बिसरल जाय ॥
ब्रज जन रेणु गोप संग धेनु
हंसैत खेलाइत बजावति वेणु
दृश्य एक एक मोन पड़ि जाय
हे ऊधो, ब्रज नहिं बिसरल जाय ॥
प्राणहुं सं अधिक गोपिका प्रेम
हुनक नहिं बूझी कुशल आ क्षेम
छन - छन युग सम बीतल जाय
हे ऊधो, ब्रज नहिं बिसरल जाय ॥
राधा संग हमर अलौकिक राग
संग - संग यमुना ताल तड़ाग
सभटा ओहिना छन छन सुझाय
हे ऊधो, ब्रज नहिं बिसरल जाय ॥
एक जिनक भृकुटि विलास पर
सकल श्रृष्टि प्रलय मचि जाय
से ब्रज गोपी लै कानथि निरुपाय!
हे ऊधो, ब्रज नहिं बिसरल जाय ॥
कहथि दिवाकर लीला माधव
केकरो सं नहिं बूझल जाय
ब्रज नहिं बिसरल जाय
हे ऊधो, ब्रज नहिं बिसरल जाय ॥
चित्र साभार - इस्कॉन