“भगवन नारायण और उनके 10 अवतार” - चित्र साभार - “विकिपीडिया”
मन धीर धर मन ध्यान कर
नाम सुधा का पान कर ।
भटका न मन को दर - ब - दर
श्री हरि सुमर श्री हरि सुमर ॥
व्यर्थ भव भय त्याग कर
ज्ञान भक्ति संवार कर ।
हरिपद शरण का वरण कर
श्री हरि सुमर श्री हरि सुमर ॥
यह भव भंवर है अति प्रबल
इक नाम मात्र ही है संबल ।
सभी दुश्चिंतायें त्याग कर
श्री हरि सुमर श्री हरि सुमर ॥
आकर्षणों से मन विलग कर
परम दिव्यानंद वरण कर ।
अशरण शरण का भाव भर
श्री हरि सुमर श्री हरि सुमर ॥
हरि स्वरूप को मनो भूमि पर
प्रतिपल तू प्रतिरोपित कर ।
श्री चरणों में अहं - शीश धर
श्री हरि सुमर श्री हरि सुमर ॥