तेरी हर बात प्यारी थी
इस जग से ही न्यारी थी
तेरे सोहबत में बिताए जो लम्हे हमने
तमाम उम्र के खुशियों पे भारी थी
तू जान थे अरमान थे
शागिर्दों के दोंनो जहान थे
सिफर तेरे जाने से पैदा होगा इतना बडा
शिद्दते-गम के इस अहसास से हम वाकिफ़ न थे
मसीहा तू हरदिल अजीज हर आंखो का नूर था
मुकद्दस मशविरा तेरा जमाने में बड़ा मशहूर था
संजोए मन में तेरी हर बात, हर संदेश को
रखना होगा बेशकीमती हीरों की तरह
अहमियत जिसकी है आज भी, रहेगी कल भी
उसके साथ में जो हम सबों को मंजूर था