एक यज्ञ जिस से हम में से अधिकतर लोग पूर्व परिचित हैं, और जिसमें हम हवन सामग्री की आहुति, अग्नि में प्रदान कर देवताओं को तुष्ट करतें हैं, उनका यजन करतें हैं परंतु उसके अलावा भी एक महायज्ञ है जो श्री गुरुदेव के द्वारा शुरू किया गया और वो अपने पार्थिव शरीर के जीर्ण होने पर भी, अपने अंतिम समय तक उसे निरंतर करते रहे, जिस से आप में से बहुत सारे शिष्य परिचित ही होंगे, वो है – “ज्ञान यज्ञ” .
जी हाँ, उन्होंने अपने अंतिम समय तक, चिकित्सालय में भी अपने इस महायज्ञ का संचालन जारी ही रखा . उन्होंने “गीता के दो शब्द” पुस्तक की रचना ऐसे ही विषम परिस्थिति में की. श्री गुरुदेव ने जो ज्ञान यज्ञ शुरू किया है, वो उनके वग्लोक गमनोपरांत भी पूर्ववत, अनवरत चलता रहे ऐसा हम सभी लोगों को जो श्री गुरुदेव के शिष्य हैं अथवा उनकी शिक्षा पर श्रद्धा रखतें हैं को सुनिश्चित करना चाहिए .
श्री गुरुदेव के शिक्षा को जन - जन तक पहुँचना भी “श्री गुरुदेव का कार्य” करना है . जो श्री गुरुदेव के शिक्षा पर श्रद्धा रखने वाले लोग हैं, शिष्यगण हैं, तात्कालिक रुप से वही इस कार्य को करेंगें, और आने वाली पीढ़ी एवं संसार के अन्य लोग बाद में इस कार्य को करेंगे . श्री गुरुदेव ने अपना अमूल्य और तपः प्राप्त परम ज्ञान हमारे बीच उतारा है, जो समस्त जगत के लिए है , परंतु हम इसको प्रथम प्राप्त करने वालों में से एक हैं, इसीलिए हमारा दायित्व है की हम इसे अन्य सुधि जनों तक पहुँचाने में मदद करें .
हम सभी सौभाग्यशाली हैं की –
- हम श्री गुरुदेव के समकालीन हैं .
- आने वाली पीढियां श्री गुरुदेव के साथ – साथ हमें भी याद रखेंगी .
- हमें इस पावन ऋषि कार्य को करने का सौभाग्य प्राप्त है .
प्रकाशित पुस्तकों का प्रसार हो, इसके अलावा हम इन्टरनेट की सहायता से इस कार्य को कर सकतें हैं और आज के दौर में हमें इस कार्य को करने के लिए विशेष उद्यम की आवश्यकत्ता नहीं . इन्टरनेट और अन्य साधनों की सहायता से इस कार्य को वर्तमान में आश्रम के द्वारा किया जा रहा है .
परंतु सोशल मिडिया या अन्य वेब प्लेटफॉर्म्स पर डाली गई सामग्री तभी तक सुगम रूप से प्रसारित नहीं हो पाती है, जब तक अनेक लोग उस पर प्रतिक्रिया न दें . इसी जगह पर आपका सहयोग वांछनीय है, तो सरल शब्दों में –
“आपको करना ये है की आश्रम के सोशल मिडिया एकाउंट्स पर प्रतिदिन 5 मिनट का समय देकर, डाले गए पोस्ट, फोटो, वीडियो एवं अन्य संदेशों को लाइक, कमेंट, शेयर करना है और साथ ही अगर आपने अभी तक आश्रम के सोशल एकाउंट्स को फॉलो या सब्सक्राइब नहीं किया है तो वो भी कर लेना है” .
जब सोशल मिडिया यथा फेसबुक और ट्विटर पर आप किसी पोस्ट को लाइक, शेयर, कमेंट करतें हैं तो अल्गोरिथम के हिसाब से उसकी रैंकिंग बेहतर सामग्री में की जाती है, और उसकी विजिब्लिटी बढ़ जाती है, और उसे अन्य लोगों की न्यूज फीड में भी दिखाया जाता है .
अतः आपके इस प्रकार प्रतिक्रिया देने पर आप श्री गुरुदेव के लेखनी को अन्य जनों तक पहुँचाने के पावन ऋषि कार्य में सहभागी हो जातें हैं एवं खुद भी लाभान्वित होतें हैं .
आश्रम के निम्न सोशल मिडिया एकाउंट्स हैं –
Whatsapp ग्रुप – इसमें आने वाले श्री गुरुदेव के सूक्ति या अन्य शिक्षण सामग्री को कम से कम अन्य 5 लोगों / ग्रुप तक प्रेषित करें .
फेसबुक पेज – (लिंक https://www.facebook.com/SriKapilKanan ) इस पेज को लाइक करें और प्रतिदिन इस पर आने वाले पोस्ट को लाइक, शेयर और कमेंट करें .
इन्स्टाग्राम – ( लिन्क https://www.instagram.com/srikapilkanan/ ) अगर आप इन्स्टाग्राम का उपयोग करतें हैं तो हमारे आश्रम के अकाउंट को जरुर फॉलो कर लें . साथ ही उस पर आने वाले पोस्ट को लाइक, कमेंट और शेयर करें .
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अतः मैं श्री गुरुदेव के इस महान ज्ञान यज्ञ में अपनी – अपनी आहुति देने, सहयोग करने हेतु आप सभी पाठकों से निवेदन करता हूँ, आप सभी का आवाहन करता हूँ . यह सहयोग स्वैछिक है . इस में, दिन भर में आपके समय का सिर्फ 5 ~ 10 मिनट लगेगा और आप अपनी ज्ञान पिपासा को तृप्त करते हुए औरों की क्षुधा की पूर्ति करेंगे, और अत्यंत पावन ऋषि कार्य में सहभागी होंगे .